देवेंद्र झाझरिया का जीवन-परिचय
भारत के देवेंद्र झाझरिया ने रियो पैरालिंपिक की जेवलिन थ्रो प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत लिया है। देवेंद्र ने जेवलिन थ्रो एफ-46 इवेंट में स्वर्ण पदक जीत कर 63.97 मीटर दूर पर जेवलिन फेंक कर नया विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। बता दें कि इससे पहले 2004 के एथेंस में हुए पैरालिंपिक में देवेंद्र ने 62.15 मीटर जेवलिन फेंककर स्वर्ण पदक जीता था। यह देवेंद्र का पिछला विश्व रिकॉर्ड था।
देश के लोगों के लिए मिसाल बने देवेंद्र ने साबित कर दिया है कि अगर इंसान चाह ले तो कोई भी चीज असंभव नहीं है। मालूम हो कि देवेंद्र झाझरिया ने 63.97 मीटर जैवेलिन फेंककर 2004 के एथेंस पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर अपने ही 62.15 मीटर के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ा है।देवेंद्र झाझरिया के जीवन और करियर पर...
देवेंद्र झाझरिया का जन्म 10 जून 1981 को राजस्थान के चूरू जिले में हुआ था। मात्र आठ साल की उम्र में देवेंद्र के साथ ऐसा भयानक हादसा हुआ जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी। वो एक पेड़ पर चढ़ रहे थे कि तभी उनका हाथ बिजली के तार से जा टकराया।
बिजली का करंट लगा 11000 वोल्ट के करंट के कारण पूरा हाथ झुलस गया। तमाम कोशिशों के बावजूद देवेंद्र का बायां हाथ काटना पड़ा और ये उनके और उनके परिवार के लिए किसी वज्रपात से काम नहीं था।
हिम्मत नहीं हारी देवेंद्र का हाथ कटा लेकिन इसके बाद भी उनके अंदर जीने का जज्बा बना रहा, उनके मनोबल ने उनके घरवालों को हिम्मत दी और देवेंद्र ने एथलीट की दुनिया में करियर बनाने का फैसला किया और आज परिणाम आपके सामने है।
गोल्ड जीता
देवेंद्र ने देश के लिए साउथ कोरिया में हुए 2002 के फेसपिक खेल, एथेंस 2004 पैरालिंपिक, 2013 की वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप और अब रियो पैरालिंपिक में गोल्ड जीता है।
पद्मश्री से भी सम्मानित
रियो पैरालिंपिक में देवेंद्र ने दूसरा स्वर्ण जीता है इससे पहले वो 2014 के एशियन गेम्स में वे सिल्वर जीत चुके हैं। इसलिए उन्हें मार्च 2012 में उन्हें राष्ट्रपति ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया था, ऐसा सम्मान पाने वाले वो इंडिया के पहले पैरालिंपिक एथलिट हैं।
हौसलों की उड़ान
भारतीय एथलीट देवेंद्र झाजरिया ने अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोड़कर रियो पैरालम्पिक में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने इससे पहले 2004 एथेंस पैरालम्पिक में 62.15 मीटर का रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता था। देवेंद्र ने साबित कर दिया कि हिम्मत और हौसलों से ही हर चीज पायी जाती है। भारत मां के इस सच्चे सपूत को दिल से बधाई और सलाम।
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