दुनिया के सबसे खुश व्यक्ति मैथ्यू रिकार्ड
जरा सोचिये दुनिया का सबसे प्रसन्न और ख़ुशी इन्सान कौन हो सकता है थोडा दिमाग पर जोर डालेगे तो हम ये सोचेगे की अरे जिसके पास बहुत सारा पैसा और सुख साधन होगा वही सबसे प्रसन्न और ख़ुशी इन्सान हो सकता है तो फिर से एक बार जरा गौर से सोचिये की क्या दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति ही सबसे प्रसन्न और ख़ुशी इन्सान है तो सोचने पर पता चलेगा की अरे धनी व्यक्ति के पास तो पैसा होता है लेकिन उसके पास तो समय ही नही है की कही दो मिनट खाली बैठकर सुख का अनुभव कर ले क्यूकी अगर वह ऐसा करता है तो उसके एक सेकंड में करोडो रूपये बर्बाद हो सकते है क्यूकी उस धनी व्यक्ति का सारा वक़्त ही पैसा कमाने में खर्च कर देता है तो भला वह व्यक्ति कैसे सबसे प्रसन्न और ख़ुशी इन्सान हुआ और यदि पैसो से सुख और प्रसन्नता खरीदी जा सकती तो दुनिया के बड़े बड़े उद्योगपति सबसे प्रसन्न और ख़ुशी इन्सान होते लेकिन ऐसा नही है क्यूकी जैसा की कहा भी गया है |
“ धन से सुख के साधन ख़रीदे जा सकते है लेकिन सुख नही और पैसो से बिस्तर ख़रीदे जा सकते है लेकिन नीद नही ”
जी जा यह एक सच है की इन्सान दिन पर दिन भौतिक सुखो की चाह में मन की शांति और प्रसन्नता को भूलता जा रहा है तो भला ऐसा इन्सान कैसे प्रसन्न और ख़ुशी इन्सान हो सकता है
लेकिन दुनिया में एक ऐसा भी व्यक्ति है जो दुनिया का सबसे प्रसन्न और ख़ुशी इन्सान है उस व्यक्ति का नाम है मैथ्यु रिकर्ड / Matthieu Ricard, यदि आपको फिर भी विश्वास नही है तो आप Google में सर्च कर सकते है तो सर्च में मैथ्यु रिकर्ड / Matthieu Ricard का नाम सबसे पहले आएगा और यही नही वैज्ञानिको ने भी मैथ्यु रिकर्ड / Matthieu Ricard को दुनिया का सबसे प्रसन्न और ख़ुशी इन्सान माना है और यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन के न्यूरोसाइंटिस्ट ने 12 साल तक लगातार उनके दिमाग का उस वक्त अध्ययन किया जब मैथ्यु रिकर्ड ध्यान की अवस्था में होते है इस दौरान न्यूरोसाइंटिस्ट डेविडसन ने मैथ्यु के सिर पर 256 सेंसर्स लगाये थे और जाच के दौरान पाया की ध्यान के समय इनके मस्तिक से अलौकिक रूप से प्रकाश निकलता हुआ दिखाई देता है
तो आखिर मैथ्यु रिकर्ड | Matthieu Ricard है कौन आईये इनके बारे में जानते है
मैथ्यु रिकर्ड का जीवन परिचय
मैथ्यु रिकर्ड | Matthieu Ricard मूलतः फ्रांस के निवासी है इनका जन्म 15 फरवरी 1946 को हुआ था इनके पिता फ़्राँस्वा रेवेल / Jean-François Revel जो की एक प्रख्यात प्रख्यात फ्रेंच फिलॉसफर थे और माता Nun Yahne Le Toumelin / नान याहने ले तुमेलिन जो अमूर्तवादी चित्रकार थी और तिब्बती बौद्ध से तालुक्क रखती थी जिसके कारण मैथ्यु रिकर्ड पर भी माता का आध्यात्मिक प्रभाव देखने को मिलता है पेशे से वैज्ञानिक पढाई करने वाले मैथ्यु रिकर्ड 1972 में डॉक्टरेट थीसिस में पीएच.डी की पढाई पूरी की और उन्हें फ्रेंच नोबेल पुरस्कार विजेता फ़्राँस्वा याकूब के तहत पाश्चर संस्थान में आणविक आनुवंशिकी में डिग्री प्राप्त किया और यही से 1972 में पढाई के बाद वे आगे की जीवन में शांति की तलाश में भारत चले आये और वर्तमान में वे नेपाल में वौद्धनाथ स्तुपाके नजदिक शेचेन गुम्बामे रहेते हैँ.
मैथ्यु रिकर्ड के दिलचस्प पहलु
जब जब इन्सान अपने दुखो से परेशान होकर या शांति और सुख की तलाश में इधर उधर भटकता है उसे कही न कही आध्यात्मिक सुख और शांति के तलाश में भारत आना ही पड़ता है ऐसा मैथ्यु रिकर्ड के साथ भी हुआ वे अपनी पढाई पूरी करने के बाद मैथ्यु रिकर्ड जब पहली बार भारत की धरती दार्जिलिंग पर कदम रखा तो उनकी मुलाकात उनके गुरु कांगयूर से हुई थी गुरु कांगयूर से ही उन्होंने खुश रहने का गुरुमंत्र पाया और जब उनके गुरु की मृत्यु 1991 में हुई थी तब जाकर मैथ्यु रिकर्ड दुखी हुए थे यानी गुरु से पहले मुलाकात 1972 से 1991 के बीच मैथ्यु रिकर्ड एक बार भी दुखी नही हुए थे फिर अपने गुरु के बताये राह पर चलते हुए मैथ्यु रिकर्ड अब तक गुरु की मृत्यु के बाद कभी दुखी नही हुए है जो की वैज्ञानिको ने भी माना है
अमेरिका की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी ने जब उनके मस्तिक पर लगभग बारह वर्षो तक अध्ययन किया और पाया की उनके ध्यान के दौरान गामा तरंगे पैदा होती है जो की आस पास प्रकाश के रूप में दिखाई देती है और इस दौरान मैथ्यु रिकर्ड अपने ध्यान में दया पर सारा ध्यान केन्द्रित करते है और सबसे हैरत करने वाली बात यह है की ऐसी तरंगे पहली बार किसी इंसानी दिमाग में देखा गया है जो की वैज्ञानिको के लिए एक शोध का विषय है
मैथ्यु रिकर्ड के इसी ध्यान और तरंगो के कारण उन्हें दुनिया का सबसे प्रसन्नचित और सुखी इन्सान बनाती है जिसके कारण मैथ्यु रिकर्ड दुनिया के सबसे प्रसन्न इंसान भी हैं मैथ्यु रिकर्ड ने अपने इसी ख़ुशी के राज को दो पुस्तको में भी लिखकर प्रकाशित किया है और बताया है की किस प्रकार इन्सान केवल प्रसन्नता या खुशी महसूस करने वाली स्थिति से सुखी नहीं हो सकता है इसके लिए उसे अच्छे स्वास्थ्य, स्वस्थ मस्तिक और बेहतर समय बिताकर इसे बनाया जा सकता है
मैथ्यु रिकर्ड का मानना है की जब इन्सान खुद के बारे में यानी कि ‘मैं, मैं और मैं’ के बारे में सोचना बंद कर दें तो निश्चित ही वह सुख प्राप्त कर सकता है जब इनसान अपने बारे में सोचता है तो कही न कही बार बार अपनी चिंता को लेकर मानसिक तनाव उत्पन्न होता है जो की हमारे सारे दुखो की जननी होती है इसके विपरीत जब कोई इन्सान अपने बारे में छोड़कर दुसरो की भलाई और दया के बारे में सोचता है उसे कही न कही मन की शांति और प्रसन्नता का अनुभव होता है और यही कारण है जब इन्सान अपने बारे में छोड़कर दुसरो के हित में सोचे तो खुद को सबसे प्रसन्नचित बना सकता है
मैथ्यु रिकर्ड के यदि विचारो को आत्मसात करे तो निश्चित ही हम सभी प्रसन्नचित रह सकते है
दुनिया के साथ अजूबे के बारे में तो आपने सुना होगा लेकिन एक ऐसे इंसान के बारे में आपने शायद सुना होगा जो दुनिया का सबसे ख़ुश इंसान का दर्ज़ा पा चुके हैं। यूँ तो इंसान का जीवन सुख-दुःख से भरा होता हैं लेकिन मैथ्यू रिकॉर्ड इस मामले में भाग्यशाली है।
वह आख़िरी बार 1991 में दुःखी हुए थे। उनकी ख़ुशी के रहस्य को सुलझाने के लिए अमेरिकन यूनिवर्सिटी ने 12 साल तक रिसर्च किया हैं। इसके लिए उनके दिमाग़ पर 256 सेंसर लगाए गए। इस रिसर्च के यूनाईटेड नेशन (UN) ने उन्हें धरती का सबसे खुशहाल इंसान माना।
भारतीय शिक्षक ने किया प्रेरित
मैथ्यू रिकॉर्ड का जन्म फ्रांस में हुआ। वे पिछले 45 सालों से लगातार खुश रहने की कोशिश में जुटे हैं। वह हैप्पीनेस को ही अपनी लाइफ की सबसे बड़ी प्रॉपर्टी मानते हैं। 70 वर्षीय मैथ्यु ने बताया कि पहले वो आज के लोगों की तरह छोटी-छोटी बातों पर टेंशन में आ जाते थे। इसी दौरान जब 1972 में जब वो दार्जिलिंग आए तब उनके टीचर कांगयूर ने डे टू डे लाइफ में खुश रहने के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे वो आदत में शुमार हो गई। इसके बाद मैंने फ्रांस छोड़कर दार्जिलिंग-नेपाल रहने का फैसला लिया।
1991 में टीचर की डेथ पर हुए थे दुखी
मैथ्यू प्रोफेशन से साइंटिस्ट और पीएचडी होल्डर हैं। वे बताते है कि मुझे सबसे ज्यादा दुख 1991 में मेरे सबसे प्रिय टीचर और मुझे दुनिया का सबसे खुशहाल इंसान बनाने वाले इंसान डिल्गो ख्येन्त्से रिनपोचे(Dilgo Khyentse Rinpoche) की मौत पर हुआ था। आखिरी बार मैँ उनकी मौत से ही दुखी हुआ था।
मैथ्यू प्रोफेशन से साइंटिस्ट और पीएचडी होल्डर हैं। वे बताते है कि मुझे सबसे ज्यादा दुख 1991 में मेरे सबसे प्रिय टीचर और मुझे दुनिया का सबसे खुशहाल इंसान बनाने वाले इंसान डिल्गो ख्येन्त्से रिनपोचे(Dilgo Khyentse Rinpoche) की मौत पर हुआ था। आखिरी बार मैँ उनकी मौत से ही दुखी हुआ था।
ख़ुशी भी दुःख बन गई
रिकॉर्ड हंसते हुए कहते हैं दुनिया का सबसे खुशहाल इंसान तो बन गया हूँ। लेकिन यही मेरे लिए दुख बन गया है। मैं दुनिया में जहां जाता हूं वहां लोग मुझसे मेरी खुशी का फार्मूला पूछने लगते हैं।
रिकॉर्ड हंसते हुए कहते हैं दुनिया का सबसे खुशहाल इंसान तो बन गया हूँ। लेकिन यही मेरे लिए दुख बन गया है। मैं दुनिया में जहां जाता हूं वहां लोग मुझसे मेरी खुशी का फार्मूला पूछने लगते हैं।
12 साल किया दिमाग को हाईजैक
मैथ्यू के ख़ुशी के राज़ को जानने के लिए अमेरिकन की नंबर 1 साइंटिफिक यूनिवर्सिटी विसकॉन्सिन के साइंटिस्ट ने उनके दिमाग पर 12 साल तक रिसर्च किया। इस दौरान उनके सिर पर 256 सेंसर लगाकर बुरी से बुरी परिस्थितियों में दिमाग के अंदर क्या चल रहा है.. या कैसे काम कर रहा है.. इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की। रिसर्च में या बात सामने आई कि उनके दिमाग़ एक गामा तरंग है। ये तरंग दुनिया में बहुत कम लोगों में डेवलप होती है। इसका काम हर कंडीशन में खुशी के लेवल को बढ़ाना होता है।
मैथ्यू के ख़ुशी के राज़ को जानने के लिए अमेरिकन की नंबर 1 साइंटिफिक यूनिवर्सिटी विसकॉन्सिन के साइंटिस्ट ने उनके दिमाग पर 12 साल तक रिसर्च किया। इस दौरान उनके सिर पर 256 सेंसर लगाकर बुरी से बुरी परिस्थितियों में दिमाग के अंदर क्या चल रहा है.. या कैसे काम कर रहा है.. इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की। रिसर्च में या बात सामने आई कि उनके दिमाग़ एक गामा तरंग है। ये तरंग दुनिया में बहुत कम लोगों में डेवलप होती है। इसका काम हर कंडीशन में खुशी के लेवल को बढ़ाना होता है।
मैथ्यु रिकर्ड के विचार
यदि हम सभी खुश होने के लिए अपने ख़ुशी होने के कारण को ढूढे और इनकी पहचान करे तो निश्चित ही प्रसन्न हो सकते है
- प्रसन्न रहने के लिए ध्यान करिए और लोगो के भलाई के बारे में सोचिये
- अपने दिमाग पर हमेसा नियन्त्रण रखे और इसे हमेसा आत्मविश्लेषण करते रहे
- प्रसन्न होने के लिए खुद को जागरूक भी करते रहिये
- बच्चे, बुड्ढे आसानी से अपने दिल से प्रसन्न होकर हस लेते है क्यूकी उनके अंदर न हार का डर रहता है और थोडा और की उन्हें चिंता
- ख़ुशी पाने के लिए दुनिया को बदलना मुश्किल है लेकिन खुद के भीतरी भाग को हम अपने आप बदल सकते है
- चिंता करना व्यर्थ है क्यूकी अगर चिंता है तो उसका समाधान भी है तो चिंता करने की जरूरत ही क्या है
तो क्या हम सब भी खुद का आत्मविश्लेषण करके क्या खुद को मन की शांति से सुखी नही रह सकते है यदि हा तो निश्चित ही हम सभी भी दुनिया के सबसे सुखी और प्रसन्नचित व्यक्ति बन सकते है इसकी शुरुआत तो हसी और मुस्कुराहट से होती है और आपको तो पाता ही है हँसी और प्रसन्न रहने से बड़े से बड़े बीमारी को भी आसानी से दूर किया जा सकता है तो आईये हम सभी भी क्यू न दुनिया के प्रसन और सुखी इन्सान बने इसकी शुरुआत अपने हँसी और मुस्कान से करे जब हँसी हमारी दिनचर्या में शामिल होंगी तो निश्चित ही हम स्वत प्रसन्न रहना सीख जाए जायेगे
तो आप सभी को यह पोस्ट दुनिया के सबसे प्रसन्न व्यक्ति मैथ्यु रिकर्ड के बारे में डी गयी जानकारी कैसा लगा प्लीज हमे कमेंट बॉक्स में जरुर बताईयेगा
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